धरती और धान

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'अरे बेचन! न जाने कौन आया था - उर्द जी, उर्द जी पुकार रहा था!' ये शब्द मेरी दिवंगता जननी, काशी में जन्मी जयकाली के हैं जिन्हें मैं 'आई' पुकारा करता ...

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